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था मुस्तआर हुस्न से उस के जो नूर था
ख़ुर्शीद में भी उस ही का ज़र्रा ज़ुहूर था
बदलती नहीं कभी मैं, खुद को ढालने के लिए किसी के अनुसार,
जीती हूँ अपनी शर्तों पर, बेमुरव्वत अपना संसार।
हम इश्क़ में हैं फ़र्द तो तुम हुस्न में यकता
हम सा भी नहीं एक जो तुम सा नहीं कोई
यही दुनिया थी मगर आज भी यूँ लगता है
जैसे काटी हों तिरे हिज्र की रातें कहीं और
बंदिश-ए-अल्फ़ाज़ जड़ने से नगों के कम नहीं
शाइ'री भी काम है 'आतिश' मुरस्सा-साज़ का
ये सफ़र मा'लूम का मालूम तक है ऐ 'मुनीर'
मैं कहाँ तक इन हदों के क़ैद-ख़ानों में रहूँ
More Shayari
Motivational Shayari

जितनी अच्छी आदतों को अपना सकते हो,
उतनी ही मेहनत से अपनी राह बनाओ।
फिर देखना, एक दिन सफलता तुम्हारी मुट्ठी में होगी।
~ अज्ञात
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं

जितनी अच्छी आदतों को अपना सकते हो,
उतनी ही मेहनत से अपनी राह बनाओ।
फिर देखना, एक दिन सफलता तुम्हारी मुट्ठी में होगी।
~ अज्ञात

जितनी अच्छी आदतों को अपना सकते हो,
उतनी ही मेहनत से अपनी राह बनाओ।
फिर देखना, एक दिन सफलता तुम्हारी मुट्ठी में होगी।
~ अज्ञात
इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे,
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा।

जितनी अच्छी आदतों को अपना सकते हो,
उतनी ही मेहनत से अपनी राह बनाओ।
फिर देखना, एक दिन सफलता तुम्हारी मुट्ठी में होगी।
~ अज्ञात
मिज़ाज अलग सही हम दोनों क्यूँ अलग हों कि हैं,
सराब ओ आब में पोशीदा क़ुर्बतें क्या क्या।
Festival Shayari

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
तुम्हारी तो दिवाली है,
लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!!
~ अज्ञात
तुम्हारी तो दिवाली है, लेकिन मेरी जिंदगी तो तुमने होली कर दी है…!! ~ अज्ञात

कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार
घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार
~ Bhagwan Das Ijaz
कहने लगे अब आइए सर पर है त्यौहार घर मेरा नज़दीक है तारों के उस पार ~ Bhagwan Das Ijaz

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार ~ Couplets of Jamiluddin Ali

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर ~ Mushafi Ghulam Hamdani

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली ~ अज्ञात

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार
हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार
~ Couplets of Jamiluddin Ali
'आली' अब के कठिन पड़ा दीवाली का त्यौहार हम तो गए थे छैला बन कर भय्या कह गई नार

अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह
चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर
~ Mushafi Ghulam Hamdani
अमआ की परी माने-ए-पर्वाज़ है जिस तरह चढ़ते नहीं मुर्ग़ान-ए-शिकम-सेर हवा पर

जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली
जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
~ अज्ञात
जब देश में थी दिवाली, वो झेल रहे थे गोली जब हम बैठे थे घरों में, वो खेल रहे थे होली
यहाँ पढ़ें खुशियों से भरी शायरी, जो आपके दिल को छू जाएगी और चेहरे पर मुस्कान लाएगी।

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा,
आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।
~ अज्ञात
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा, आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा।
हम जानते हैं लुत्फ़-ए-तक़ाज़ा-ए-मय-फ़रोश वो नक़्द में कहाँ जो मज़ा है उधार में
हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं तुम्हारी अंजुमन का पूछना क्या – मुबारक अज़ीमाबादी

तेरी हंसी मेरी जिंदगी की रौशनी,
तू है मेरी दोस्ती की सबसे खास कहानी!
~ अज्ञात
तेरी हंसी मेरी जिंदगी की रौशनी, तू है मेरी दोस्ती की सबसे खास कहानी!
Funny Shayari
अज्ञात

कतरा-कतरा गुलाब होता है,
अपने हाथों से पीला दे शराब तो वो भी मिनरल वॉटर होता है!
~ अज्ञात
रोड पर जाॅगिंग करने वाले हम जैसे बंदों को सबसे ज्यादा,
खतरा उन आंटियों और कन्याओं से होता है
जो सुबह-सुबह ड्राइविंग में PHD करने निकलती हैं!

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो,
हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं……..!!!
~ अज्ञात
अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं……..!!!

क्यू बार बार ताकते हो शीशे को,
नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..!!!
~ अज्ञात
क्यू बार बार ताकते हो शीशे को, नज़र लगाओगे क्या मेरी इकलौती मुहब्बत को…..!!!

तुम वह कविता हो जिसे मैं लिखना चाहता हूं,
तुम वह गीत जो मैं गाना चाहता हूं,
वह प्यार हो जिसे मैं जीना चाहता हूं।
~ अज्ञात
तुम वह कविता हो जिसे मैं लिखना चाहता हूं, तुम वह गीत जो मैं गाना चाहता हूं, वह प्यार हो जिसे मैं जीना चाहता हूं।

वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं,
जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं,
चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें,
पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!
~ अज्ञात
वो जो हमारे लिए ख़ास होते हैं, जिनके लिए दिल में एहसास होते हैं, चाहे वक़्त कितना भी दूर कर दे उन्हें, पर दूर रहकर भी वो दिल के पास होते हैं…….!!!

तुम बरसात में मेरी धूप हो,
अंधेरे में मेरी रोशनी हो,
आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो।
मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो,
कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो,
जीवन के प्यार से भी अधिक हो।
~ अज्ञात
तुम बरसात में मेरी धूप हो, अंधेरे में मेरी रोशनी हो, आजकल की दुनिया में मेरा प्यार हो। मैं तुम्हें शब्दों से अधिक हो, कार्यों में व्यक्त करने से अधिक हो, जीवन के प्यार से भी अधिक हो।
अज्ञात
तेरे बिना जिंदगी जैसे कोई किताब हो, जिसके पन्नों पर बस खालीपन लिखा हो।
View Shayariअज्ञात
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
View Shayariअज्ञात
जिसका मिलना किस्मत में नहीं होती उससे मोहब्बत भी बेइंतहा होती हैं !
View Shayariअज्ञात
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
View Shayariअज्ञात
“कभी-कभी खुद को भी समझाना पड़ता है कि जो चला गया, वो लौटकर नहीं आएगा।”
View Shayariमुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम
आस क्या अब तो उमीद-ए-नाउमीदी भी नहीं कौन दे मुझ को तसल्ली कौन बहलाए मुझे
View Shayariये सोच के माँ बाप की ख़िदमत में लगा हूँ
इस पेड़ का साया मिरे बच्चों को मिलेगा
~ Munawwar Ranaहांथ पैरपै मुंहमुं नाक से ले कर दादा दादी चाचा चाची बहन भाई रोना हंसहं ना तक सिखाती है।है
वो एक मां हीं है जो अपने बच्चेको एक गुरु के लायक बनाती है।।है
~ अज्ञातबेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा,
बेवफा तू नहीं, तेरे वादे थे बेवफा, तेरी यादें अब भी इस दिल में बसी हुई हैं।
अज्ञाततेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया,
तेरी बेवफाई का सौ बार शुक्रिया, मेरी जान छूटी इश्क़-ऐ-बवाल से…!!
अज्ञातएक बेवफा से मैंने प्यार क्या,
एक बेवफा से मैंने प्यार क्या, दिल देकर उस पर एतेबार क्या, हमने तो समझ था उसे हम दर्द अपना, मगर बनकर बेदर्द उसने, दिल पर मेरा वॉर किया।
अज्ञातबिना तेरे, हर लम्हा एक सदी सा लगता है,
बिना तेरे, हर लम्हा एक सदी सा लगता है, तेरी बेवफाई में, हर खुशी फीकी लगती है।
अज्ञातचले जाने दो बेवफा को किसी और की बाहों में,
चले जाने दो बेवफा को किसी और की बाहों में, जो मेरा ना हो सका वो किसी और का क्या होगा।
अज्ञात
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